Ads

कोटा के दशहरा मैदान पर हेमा मालिनी ने मचाया धमाल| जानिए कैसे?

 #कोटा के दशहरा मैदान पर हेमा मालिनी ने मचाया धमाल| जानिए कैसे?



राजस्थान के कोटा शहर में 131वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का भव्य आयोजन चल रहा है, और इस बार यह मेला कुछ खास वजहों से चर्चा में है। 2024 के नवरात्रि के पहले दिन इस मेले में एक ऐसी घटना घटी जिसने सभी को अचंभित कर दिया। प्रसिद्ध अभिनेत्री और मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने नवदुर्गा के विभिन्न रूपों का मंचन किया और अपनी नृत्य नाटिका से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह प्रस्तुति विजय श्री रंगमंच पर आयोजित हुई, जिसमें हेमा मालिनी ने अपने 46 सहायक कलाकारों के साथ मां दुर्गा की महिमा का जीवंत चित्रण किया।


हेमा मालिनी, जो दशकों से अपनी कला के जरिए भारतीय सिनेमा पर राज कर रही हैं, ने इस बार एक बिल्कुल नया रूप धारण किया। उन्होंने मां दुर्गा के विभिन्न अवतारों का चित्रण किया, जिनमें मां की शक्ति, साहस और करुणा का अद्भुत प्रदर्शन किया गया। इस प्रस्तुति में उनके नृत्य की लय और ताल ने दर्शकों को बांधे रखा। नृत्य नाटिका के दौरान उन्होंने दुर्गा सप्तशती से प्रेरित कथाओं का मंचन किया, जिसमें महिषासुर मर्दिनी के रूप में दुर्गा के साहस और वीरता को दिखाया गया।


इस कार्यक्रम के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राजस्थान सरकार के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर और हाड़ौती अंचल के गांव-ढाणी से आए लोगों की भारी भीड़ थी। हेमा मालिनी की इस प्रस्तुति ने न केवल लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि कोटा के दशहरा मेले को एक नई पहचान भी दी।


दशहरा मेला, जो कोटा की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, हर साल हजारों लोगों को आकर्षित करता है। इस बार मेले की शुरुआत हेमा मालिनी के प्रदर्शन से हुई, जो अपने आप में एक बड़ी बात है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर दुर्गा के नौ रूपों का प्रदर्शन एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। हेमाजी की प्रस्तुति में मां दुर्गा के रूप में उनकी शक्तिशाली छवि, उनकी आंखों की चमक और नृत्य की हर लय ने मानो देवी को सजीव कर दिया।


मेले के दौरान लोगों ने यह भी देखा कि मंच पर जैसे-जैसे नाटिका आगे बढ़ी, दर्शकों में एक अद्भुत ऊर्जा फैलने लगी। हेमा मालिनी ने अपने सहायक कलाकारों के साथ मंच पर जिस प्रकार से दुर्गा के विभिन्न रूपों को जीवंत किया, उसने हर किसी के दिल को छू लिया। यह नाटिका सिर्फ एक कला का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह मां दुर्गा के साहस और उनकी शक्ति की कहानी थी, जिसे हर व्यक्ति ने गहराई से महसूस किया।


हेमा मालिनी के इस अनोखे प्रदर्शन के साथ-साथ, कोटा का दशहरा मेला भी अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है। इस मेले में लोक नृत्य, पारंपरिक खेल, और स्थानीय शिल्पकला की प्रदर्शनी के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जो कोटा के सांस्कृतिक वैभव को दर्शाते हैं। हर साल यह मेला न केवल राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से, बल्कि देशभर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस साल, हेमा मालिनी के प्रदर्शन ने मेले को और भी खास बना दिया।


कोटा का दशहरा मेला एक ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। इसे भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा दशहरा मेला माना जाता है, और इसकी शुरुआत 131 साल पहले हुई थी। इस मेले में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं, जिनमें रावण दहन, रामलीला और अन्य धार्मिक नाटकों का मंचन प्रमुख होते हैं। लेकिन इस बार हेमा मालिनी की प्रस्तुति ने इस मेले को एक नई ऊँचाई दी।


हेमा मालिनी का कोटा के दशहरा मेले में भाग लेना उनके समर्पण और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है। एक सफल अभिनेत्री और राजनीतिज्ञ होने के बावजूद, उन्होंने इस मेले में हिस्सा लेकर अपनी कला को समर्पित किया और मां दुर्गा की महिमा का गुणगान किया। उनकी इस प्रस्तुति ने यह साबित कर दिया कि चाहे वह राजनीति हो, सिनेमा हो, या फिर मंच की कला, हर जगह उनकी प्रतिभा अद्वितीय है।


131वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का यह प्रारंभ न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से भी लोगों को एकजुट किया। हेमा मालिनी की यह प्रस्तुति कोटा के दशहरा मेले की यादों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है, और यह इस मेले के इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है।


दर्शकों ने इस प्रस्तुति को बेहद सराहा और मेले के आयोजकों ने भी इस अनूठे कार्यक्रम के लिए हेमा मालिनी और उनकी टीम की सराहना की। इस नवरात्रि, कोटा के दशहरा मेले में न केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन हुआ, बल्कि कला और संस्कृति का अद्भुत संगम 

भी देखने को मिला।


No comments

Powered by Blogger.